“जो अपने आप को सरल रखता है, वही सर्वोत्तम होता है II”
“जो अपने आप को सरल रखता है, वही सर्वोत्तम होता है II”
“सोचता हूँ मेहनत की कलम से, ज़िंदगी की कहानी फिर से लिखूं II”
“आजकल मैं ज़िंदगी के बताये रास्तों पर चल रहा हूँ I”
“कुछ तो आरज़ू रख, थोड़ा हौसला रख, ज़िंदगी जीने का अपना तरीका रख II”
“ज़िंदगी भी किताब सी होती है, सब कुछ कह देती है खामोश रह के भी II”
“खेलने की उम्र में, मैंने काम करना सीख लिया I लगता है ज़िंदगी जीने का हुनर सीख गया II ”
“गिरे हुए पैसों को तो सब उठाते है, पता नहीं ये लोग अपना ईमान कब उठाएंगे II”
“अक्सर अपनो की ख़ुशी के चलते, लोग ख्वाबों की खुद ख़ुशी कर देते है I”
“इस दुनिया में खुद की मर्ज़ी से भी जीने के लिए, पता नहीं कितनों को अर्ज़ी देनी पड़ती है II”
“जिसने भी मेरी किस्मत लिखी है अधूरी लिखी है, आजकल उसी को पूरा करने में लगा हुआ हूँ II”
रास्तों में भटका नहीं हूँ मैं, इतनी जल्दी क्या है, अभी तो घर से निकला हूँ मैं।
हर कोई किसी न किसी नशे में बेहोश है, यही सब सोचकर हम खामोश है।
किताबों सा बनों, सब कुछ सीखा कर भी खामोश रहो।
हर वक्त डर रहता है, कैसे तू मेरे बगैर रहता है।
मुझे सरेआम ढूंढते हो, मैं खुद ही मिल जाऊँगा पहले थोड़ी पहचान तो होने दो।
अभी चाँद नहीं निकला, जरा सी शाम होने दो। मैं खुद ही लौट आऊंगा, पहले थोड़ा मेरा नाम होने दो।
जमाने में सौदा नहीं, आजकल सौदों पर जमाना है।
कौन कहता है कि याद अक्सर अपनों कि आती है, गैर भी याद आते हैं गर उनसे याद जुड़ा हो।
नादान थी मेरी हरकतें सब कुछ आज़मा लेती थी, अब होशियार हो गयी हैं, पाँव रखने से पहले सोचने लगी हैं अब।
सुना है दुआ करते हो मेरे लिए, फ़िर से ठगने का ईरादा है क्या? और अब आज़मा चुके हो सबको, फ़िर से मेरी बारी है क्या?
ये ज़िन्दगी बहुत उदासी से भरी है, दिल में अजीब सी हलचल मची है, ये मेरा कूसूर है या ज़िन्दगी इम्तेहान ले रही है!
राहत कि बात ये है कि अब सपने मैं नींद में नहीं जागते हुए देखता हूँ।
खूली किताब होना चाहते हो या बन्द? चुनना तुम्हें है कि खुद को आज़माना चाहते हो या आज़माने देना चाहते हो।
ये मेघ तारे भी अब गवाह बन गए ,मानो हर पल दिवाली हो सन्सार में, और एक तेरा मुझसे मिलन भी अनोखा लगा इस प्रबल प्यार में!
देखो बारिश भी अब आ गयी है और संग में उमंग भी लायी है, पर प्रकृति सूनी लगती है और जीवन का रस भी अधूरा लगता है।
तुझ बिन दुनिया प्यारी लगती न हो तो वीरानी है, और तेरे बिन ये सारा जीवन केवल सादा पानी है।
ये वीरानी सी राहो पर कितने दिखते सैलाब, यहाँ इस अंधियारे में ख्वाबों का क्यूं ढूंढ रहा मै आस यहाँ।
क्यूं तुझसे दूर मेरी तन्हाई जा रही है, क्यूं न तुझको मेरी याद आ रही है।
के जलती दीपक कि बाती बन, मुझमे उजियाला कर जाओ, और समाकर मन में मेरे अब तुम मेरी बन जाओ।
आंख से आंसू सूख चुके हैं शिथिल हो गया देखो मन, मंजिल अब भी बाकी है और ताक रहा है देखो मन।
क्यों मैं खुद से हारा हूँ, क्यों मैं खुद से बेसहारा हूँ, क्यों बेचैनी मुझे सताती है, इस अंधियारे से मुझे डराती है।
कितना दुख है इस जीवन में, सब कुछ तो अब देख लिया, नराज़ हुआ था मैं दुनिया से, अब खुद से हि मै रूठ गया!
ये लम्हा बेवजह गंवा रहे हो, जी लो इसे खुलकर क्या पता कब सही वक्त निकल जाए।
मुझसे दोस्ती का घमंड किया करो क्यों कि ये सबको नसीब नहीं होती।
हम तुम्हे जब भी याद करेंगे तुम्हारी खैरियत ही पूछेंगे।
वो अपनो से झगड़ता फ़िरता है, उसे कहो उससे जाके मिले एक दफ़ा जो अपनो के लिए तरसता है।
सारी दुनिया मुझे बुरा समझती है, तो कोई बात नहीं बस अपने ना समझे वरना मैं टूट जाउंगा।
मैने दिल लगा के कुछ लिख दिए अलफ़ाज़, एक दिन लोग उसपे दिल लगा बैठे।
देना हो तो किसी को वक्त देना, और ये गलतफ़हमी हर जगह मत् रखना, क्यों कि कुछ लोग उपहार के प्रेमीहोते हैं।
सुना है मुझे खुश देखकर दुनिया दुखी होती है, चलो अब दुनिया को और दुखी करते हैं।
सबने कसम खाई थी मेरी मुझे अपनाने के लिए, मैने कसम खा ली अपनी उनका बन जाने केलिए।
देखो मतलबी लोगों का भीड़ लगा है, बहुत अनुभव के साथ ये बात बोली है।
हल चल है अब इन हवाओं में, लगता है अब मेरा सुकून दूर जाने वाला है।